नवरात्रि के दौरान व्रत रखने की प्रथा का संबंध प्राचीन काल से है। हालांकि, इस प्रथा की शुरुआत किसने की, इसके बारे में कोई निश्चित जानकारी नहीं है। विभिन्न धार्मिक ग्रंथों और पौराणिक कथाओं में इसके बारे में अलग-अलग विवरण मिलते हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार:
- भगवान राम: वाल्मीकि रामायण के अनुसार, भगवान राम ने लंका पर चढ़ाई से पहले देवी दुर्गा की आराधना की थी और नौ दिनों तक व्रत रखा था। उन्होंने शक्ति की देवी से रावण पर विजय प्राप्त करने के लिए आशीर्वाद मांगा था। इसलिए, उन्हें नवरात्रि का पहला व्रत रखने वाला माना जाता है।
- महिषासुर वध: एक अन्य मान्यता के अनुसार, नवरात्रि की शुरुआत तब हुई जब महिषासुर नामक राक्षस ने तीनों लोकों में आतंक मचा दिया था। देवताओं ने देवी दुर्गा की स्तुति की और उन्हें महिषासुर का वध करने के लिए जागृत किया। देवी दुर्गा ने नौ दिनों तक महिषासुर से युद्ध किया और अंत में उसका वध किया। इस घटना को नवरात्रि के रूप में मनाया जाता है।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार:
- नवरात्रि के व्रत का उल्लेख कई प्राचीन हिंदू ग्रंथों में मिलता है, जैसे कि पुराणों और उपनिषदों में।
- इन ग्रंथों में, नवरात्रि को शक्ति की देवी की पूजा और आराधना के लिए एक महत्वपूर्ण समय बताया गया है।
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ऐतिहासिक दृष्टिकोण:
- यह माना जाता है कि नवरात्रि का त्योहार और व्रत रखने की प्रथा प्राचीन काल से चली आ रही है।
- यह भी माना जाता है की नवरात्रि की परम्परा वैदिक काल से चली आ रही है।
- सिंधु घाटी सभ्यता के दौरान भी मातृदेवी की पूजा के प्रमाण मिलते हैं, जो नवरात्रि की परंपरा से संबंधित हो सकते हैं।
इसलिए, यह कहना मुश्किल है कि नवरात्रि के व्रत की शुरुआत किसने की थी। लेकिन यह स्पष्ट है कि यह प्रथा प्राचीन काल से चली आ रही है और हिंदू धर्म में इसका बहुत महत्व है।