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अक्षय तृतीया: आखिर क्यों मानते हैं इसे इतना शुभ और अक्षय?

Akshaya Tritiya

अक्षय तृतीया, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है। यह दिन ‘अक्षय’ कहलाता है, जिसका अर्थ है ‘कभी न क्षय होने वाला’ या ‘अनंत’। यही कारण है कि इस तिथि को इतना शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है। लेकिन आखिर ऐसा क्या है इस दिन में कि इसे इतना पवित्र और फलदायी माना जाता है? आइए, सरल हिंदी में विस्तार से जानते हैं।

सबसे महत्वपूर्ण कारणों में से एक है इस दिन का पौराणिक महत्व। कई प्राचीन कथाएं अक्षय तृतीया की महिमा का बखान करती हैं। माना जाता है कि इसी दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार, परशुराम का जन्म हुआ था। परशुराम को न्याय और धर्म का प्रतीक माना जाता है, और उनका जन्म इस दिन को पवित्रता प्रदान करता है।

एक और लोकप्रिय मान्यता के अनुसार, इसी दिन से त्रेता युग की शुरुआत हुई थी। हिंदू धर्म में युगों का एक चक्र माना जाता है, और त्रेता युग को सत्य और धर्म का युग माना जाता है। इस नए युग की शुरुआत को चिह्नित करने के कारण भी अक्षय तृतीया को शुभ माना जाता है।

इसके अतिरिक्त, यह भी माना जाता है कि मां गंगा का पृथ्वी पर अवतरण भी इसी दिन हुआ था। गंगा नदी को हिंदू धर्म में सबसे पवित्र नदियों में से एक माना जाता है, और उनका पृथ्वी पर आना एक अत्यंत शुभ घटना थी, जिसने इस तिथि को और भी पवित्र बना दिया।

एक और महत्वपूर्ण पहलू महाभारत से जुड़ा है। कहा जाता है कि इसी दिन द्रौपदी को चीर हरण से बचाने के लिए भगवान कृष्ण ने उन्हें अक्षय पात्र प्रदान किया था। यह पात्र कभी खाली नहीं होता था और इसने पांडवों को उनके वनवास के दौरान भोजन की कमी से बचाया। इस कथा से यह स्पष्ट होता है कि अक्षय तृतीया विपत्तियों से रक्षा करने और अक्षय समृद्धि प्रदान करने वाला दिन है।

ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी अक्षय तृतीया का विशेष महत्व है। इस दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों ही अपनी उच्च राशि में स्थित होते हैं। सूर्य मेष राशि में और चंद्रमा वृषभ राशि में अपनी सबसे शक्तिशाली स्थिति में होते हैं। ग्रहों की यह विशेष स्थिति सकारात्मक ऊर्जा और शुभता लाती है। इसलिए, इस दिन किए गए किसी भी शुभ कार्य का फल अक्षय होता है।

अक्षय तृतीया को कृषि और समृद्धि का प्रतीक भी माना जाता है। यह समय भारत में फसल की कटाई का होता है, और किसान अपनी अच्छी फसल के लिए भगवान का आभार व्यक्त करते हैं। यह दिन नई फसल की पूजा और समृद्धि की कामना के लिए भी महत्वपूर्ण है।

इन सभी कारणों के अलावा, अक्षय तृतीया को शुभ कार्यों के लिए अत्यंत उत्तम माना जाता है। इस दिन बिना किसी मुहूर्त के विवाह, गृह प्रवेश, नया व्यापार शुरू करना, या कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है। माना जाता है कि इस दिन किए गए दान और पुण्य कर्म का फल कभी क्षीण नहीं होता, वह अक्षय रहता है। लोग इस दिन सोना-चांदी खरीदते हैं, नए वस्त्र धारण करते हैं और गरीबों को दान देते हैं ताकि उनके जीवन में सुख और समृद्धि बनी रहे।

संक्षेप में, अक्षय तृतीया एक ऐसा दिन है जो पौराणिक कथाओं, ज्योतिषीय महत्व और सामाजिक मान्यताओं के संगम से अत्यंत शुभ और अक्षय बन गया है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि अच्छे कर्मों का फल हमेशा बना रहता है और हमें धर्म, न्याय और समृद्धि के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है। यही कारण है कि आज भी इस तिथि को पूरे भारत में बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।

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